Friday, January 2, 2009

"नासिर काज़मी"

आज तो बेसबब उदास है जी
इश्क़ होता तो कोई बात भी थी

जलता फिरता हूँ क्यूँ दो-पहरों में
जाने क्या चीज़ खो गई मेरी

वहीं फिरता हूँ मैं भी ख़ाक बसर
इस भरे शहर में है एक गली

छुपता फिरता है इश्क़ दुनिया से
फैलती जा रही है रुसवाई

हमनशीं क्या कहूँ के वो क्या है
छोड़ ये बात नीन्द उड़ने लगी

आज तो वो भी कुछ ख़ामोश सा था
मैं ने भी उस से कोई बात न की

एक दम उस के हाथ चूम लिये
ये मुझे बैठे बैठे क्या सूझी

तू जो इतना उदास है "नासिर"
तुझे क्या हो गया बता तो सही

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